Paratha Slogan | Best Paratha Slogan |पराठा | Paratha Selling Slogan
पराठा (Paratha)
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मैं आशिक हूं उसका, दीवानी मगर वह पराठों पे मरती।
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हीरोइन की अदाओं पे मरना भी कोई मरना है
मरना है तो बीवी के पराठों पे मर कर कभी देखो।
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बात होती है जब पराठों की
पराठा मां का याद आता है।
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दास्तां इश्क की जब भी लिखी जाएगी
मेरा आशिकी पराठा ही परचम लहरायेगा।
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घर से हो दूर गर तुम और याद आये घर जब
खाना वह घर का खाना आये जो याद तुमको
मां के बने पराठे और साथ में वह सब्ज़ी
तरसे जो मन बेचारा आना तुम द्वार मेरे
मेरे बनें पराठे ममता का स्वाद निभाए
मेरे बनें पराठे घर की कमी भुलाए।
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इश्क बोले तो! आलू पराठा।
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पराठा खिलाओ, यार को मनाओ।
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भूख मिटायें पैसे भी बचाएं ,
आलू पराठा शौक से खाएं।
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परांठों का ठेला, दिल में बसेरा।
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किसी रूठे को मना लें आज, पराठों के स्वाद के साथ।
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हमें ना देखो भाई साहेब
देखो तुम बस मेरे पराठे
पैसा देकर खाओ इसको
खाकर अपनी भूख मिटाओ।
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पराठे हैं तो हम है वरना हम कहां ।
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यह पराठे ना होते तो क्या होता?
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हम बेचते नहीं पराठे सिर्फ, है साथ में इसके चटनी भी।
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आलू का पराठा हो या हो मूली का पराठा
पराठा है ज़रूरी breakfast में लेकिन
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यारों की यारी और पराठों की थाली
महफ़िल ना जमे यह हो नहीं सकता
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कोई किसी के आंखों पे तो किसी के बालों पे मरता है
मगर यहां हर कोई मेरे स्वादिष्ट पराठों पे मरता है।
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खा लो कितना भी खाना मगर,
जिया ना भरता पराठों के बिना।
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यह आज़माइश भी बड़ी ही अजीब है जानां
क्योंकि आज खाने में बनाना है हमको पराठा ।
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आलू के पराठे कभी मेथी के पराठे
मूली के पराठे कभी गोभी के पराठे
पालक के पराठे कभी अजवाइन के पराठे
दाल के पराठे कभी चावल के पराठे
पनीर के पराठे कभी कीमा के पराठे
चिकन के पराठे कभी सब्ज़ी के पराठे
मिर्ची के पराठे कभी धनिया के पराठे
मशरूम के पराठे कभी चीज़ के पराठे
बचे खानों के पराठे कभी सरसों के पराठे
मक्खन के पराठे कभी सादे ही पराठे
पराठे ही यहां मिलते हर टाइप पराठे
कोई कहीं जाए तो लेकर यही पराठे
कोई जो घर आये बन जाए यही पराठे
आफिस कभी कालेज है साथ में पराठे
मिल जाए अगर चटनी वाह रे यह पराठे
किस्मत जिसे कहते, कहते उसे पराठे
चाहत जो सभी की हो कहते उसे पराठे
रिश्ते तो निभाते हैं हर दम यह पराठे
है भूख मिटाते भी हर दम यह पराठे।
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सामने है ठेला, ठेले पे पराठा
पराठे की खुशबू और तैयार पराठा
बचे भला कैसे राही बेचारा
खाकर पराठा झूम उठा तन सारा
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मनवा लो कुछ भी जो हो मांग तुम्हारी
बदले में खिला दो हमें गोभी के पराठे
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क्या देख रहे हो साहेब!
है नाम पराठा मेरा और काम है लुभाना
सूरत हसीन मेरी सीरत भी है निराली
है स्वाद भी स्वादिष्ट कभी चख के तो देखें
करते हैं हम मुहब्बत खाने के शिदायी से
खाये जो पराठा तो खुश वह बहुत है साहेब।
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यह पराठे बड़े कमाल के हैं साहेब
यकीं ना हो तो आज़मा लीजिए
दस-बारह ना पांच-सात ही सही
स्वाद इसका जगाता जो जादू है
दर्द अपना हैं भूल जाते सब
यह पराठे बड़े गमगुसार होते हैं।
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भूख भी मिटानी हो और पैसे भी बचाने हो
तब तो यह पराठे ही साथ निभाते हैं।
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पराठे पे पराठे हम पकाते जा रहे हैं
और वह हैं की पराठे खाते ही जा रहे हैं।
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होटल का पराठा हो या हो घर का पराठा
पराठा है ज़रूरी मगर खाने की थाली में
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किसी को कुछ पसंद होता है तो किसी को कुछ
कोई नहीं है ऐसा पराठे पसंद ना जिसको
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हम तो जीते जी ही मर जाते हैं
सिर्फ नाम पराठे का सुन कर ही
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बिन पराठों के तो चैन नहीं रहता
खा लो तो पेट बेचैन रहता है
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पराठा देखो मन ललचाये
खाये बिना फिर रहा ना जाए
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बड़ी मुहब्बत से बनाते हम पराठे हैं
जो कीमत आप देते हैं वह अनमोल होती है
वह पैसा हम जो लेते हैं वह तो बेमोल होता है
मुहब्बत की कोई कीमत कभी ना सके कोई।
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जिस कमबख्त को पसंद नहीं पराठा
ऐसे नालायक को हमसे मिलाओ तो ज़रा
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बच्चे बूढ़े और जवान, पराठे यहां हैं हर प्रकार।
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आप बनाते होंगें हर चीज़ से पराठे
हम तो बनाते हैं सदा दिल से पराठे
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परांठों का ज़ायका यह, चलाया ना जाने किसने
जिसने चलाया लेकिन, क्या खूब चलाया उसने
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जो खाते नहीं है कद्दू की सब्ज़ी
उन्हें हम खिलाते हैं कद्दू के पराठे
वह पूछें हैं हमसे यह पराठा है किसका
हंसी को छिपा कर मै कहता हूं मेरा।
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बात पराठों की महफ़िल में जब निकलती है
नये-नये तरीके पराठे बनाने के निकलते हैं।
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नाश्त में खाओ या खाने में खाओ,
सब्ज़ी से खाओ या चटनी से खाओ
खाओ मगर तुम पराठों को वरना
पछताएगी बाद में तो हम से ना कहना
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खाना ज़रूरी यह मेथी पराठे
मेथी पराठा सेहत है बनाते
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क्या रोज़ घर में पराठे बनाती हो बहना
मेरी दुकान से लेकर खा लिया करे ना
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एक चाहिए या सौ चाहिए, दअवत हो या पार्टी हो
आर्डर पे बनवा लो, या तैयार ही ले लो
पराठे हम बनाते हैं, जब चाहे आ कर ले लो।
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हमारी छोटी सी दुकान मत देखो साहेब!
हमारे लज़ीज़ पराठों को चख कर कभी देखो
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पराठे तो बहुत हैं ही हमारे पास
साथ में है अचार और चटनी भी
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पराठे खा लो भाई पराठे खा लो
एक पे एक फ्री पराठा जल्दी ले लो।
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दस रूपया की चटनी ले लो
साथ में है पराठा मुफ्त।
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बाहर का पराठा कभी खा के तो देखें
घर के तो पराठे आप रोज़ ही खाते हैं।
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मेरी दुकान के पराठे भुलाए कोई ना भूले
स्वादिष्ट मेरे पराठे खा कर कभी पछताएं
ऐसे बनें पराठे खाए कभी ना होंगे
पछताए हर कोई हर दम खाए या ना ही खाए
नोट:- (यहां पर पछताने से मुराद है कि जो एक बार खा ले वह बार-बार खाना चाहेगा। इस लिए पछताने की बात कही गई है। कि जो ना खाए वह भी पछताए जो खाए वह भी पछताए।)
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ज़िन्दगी की कहानी जब कभी तुम लिखना
मेरे पराठों का ज़िक्र उसमें तुम ज़रूर लिखना
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स्वादिष्ट पार्लर हम चलाते हैं
आटे की रोटी को पराठे हम बनाते हैं।
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कोई बच्चन पे मरता है कोई शाहरुख पे मरता है
भाई हम तो अपनी मां के पराठों पे मरते हैं।
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